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क्यों बिहार की सियासत इन दिनों “धुम्रपान पड़ेगा महँगा” वीडियो की याद दिला रही है ?

जब सत्ता दल ऐसी करतूत करती है तो विपक्ष के पास उसे घेरने का अच्छा मौका होता है लेकिन जब विपक्ष की कुर्सी काबिल नहीं पारिवारिक लोगो से घिरी हो तो विपक्ष ऐसे मौके पर सेल्फ गोल कर लेती है।

Breaking News आज की रिपोर्ट पाठकों की तरफ से बिहार की बड़ी ख़बरें 

जब सत्ता दल ऐसी करतूत करती है तो विपक्ष के पास उसे घेरने का अच्छा मौका होता है लेकिन जब विपक्ष की कुर्सी काबिल नहीं पारिवारिक लोगो से घिरी हो तो विपक्ष ऐसे मौके पर सेल्फ गोल कर लेती है।

बिहार की सियासत इन दिनों थिएटर में फिल्म शुरू होने से पहले धुम्रपान पड़ेगा महँगा वीडियो की याद दिला रही है –“इस शहर को ये हुआ क्या है,कहीं राख है कहीं धुँआ धुँआ। क्यों कोई कुछ नहीं बोलता ,चुपचाप धुएँ को क्यूँ झेलता। हो गई बर्दाश्त की अब इन्तहा …………धुम्रपान ना करें ना करने दें। धुम्रपान पड़ेगा महँगा ।” लेकिन धुम्रपान की चेतावनी का असर धुम्रपान कर रहे लोगो पर नहीं दिखता है क्योंकि वे खुद को समझदार समझते है और शायद उन्हें  लगता है की ऐसा करने पर वे ज्यादा कूल या दबंग लगते है।लेकिन एक समय आता है जब उन्हें धुम्रपान करना पड़ता है महँगा।

अगर आप सोच रहे है की बिहार की राजनीति का धुम्रपान के इस विज्ञापन से क्या संबंध है तो मैं बिहार की सियासत में हाल में हुए नेताओं के बीच जुबानी जंग के कुछ अंश का जिक्र करना चाहूँगा।बिहार में सत्ताधारी और विपक्षी के नेताओ के बीच एक-दूसरे को घर में घुसकर मारने, हाथ और जुबान काटने की धमकी की शुरुआत करते है,बिहार बीजेपी  के अध्यक्ष नित्यानंद  राय के उस विवादित बयान से जिसमे उन्होंने कहा था कि, ‘यदि किसी ने प्रधानमंत्री मोदी पर उंगली उठाया तो उसे या तो तोड़ दिया जाएगा या काट दिया जाएगा।’ मुझे लगता है की अध्यक्ष जी शायद भारत को उत्तर कोरिया समझने की भूल कर बैठ होंगे जहाँ तानाशाह किम जोंग के खिलाफ बोलने पर तानाशाह के सिपासलारो द्वारा आपका सर पलक झपकते ही धड से अलग किया जा सकता है। नित्यानंद जी अगर वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलने पर किसी की ऊँगली काटी जा सकती तो मुझे आश्चर्य है की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ बोलने पर आपके और आपके नेताओ के हाथ  की सारी उंगलिया अभी भी सही सलामत कैसे है ?

अध्यक्ष जी मैंने टेक्नोलॉजी के इस युग में टेक्नोलॉजी के पितामह गूगल से ऐसी कोई कहावत ढूँढने में मदद की गुजारिश की लेकिन पितामह ने हाथ खड़े कर लिए।

मैंने इस बयान पर आपकी  सफाई सुनी जिसमें आपने अपने बयान को एक कहावत कह दिया। अध्यक्ष जी मैंने टेक्नोलॉजी के इस युग में टेक्नोलॉजी के पितामह गूगल से ऐसी कोई कहावत ढूँढने में मदद की गुजारिश की लेकिन पितामह ने हाथ खड़े कर लिए। आपसे निवेदन है की कृपया कर मुझे उस किताब का पन्ना बताने का कष्ट करे जहाँ आपने यह मुहावरा पढ़ा है। मेरी भी ज्ञान में वृद्धि हो जाएगी और आपको तो पता ही होगा बिहारी ज्ञान और विज्ञान पाने के लिए के लिए अपने घर-बार छोड़ कर आएदिन दूसरे राज्यों का रुख करते  है।

जब सत्ता दल ऐसी करतूत करती है तो विपक्ष के पास उसे घेरने का अच्छा मौका होता है लेकिन जब विपक्ष की कुर्सी काबिल नहीं पारिवारिक लोगो से घिरी हो तो विपक्ष ऐसे मौके पर सेल्फ गोल कर लेती  है। बिहार की विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल के पास जब मौका था तो उनके पार्टी के कर्ताधर्ता माननीय लालूप्रसाद जी के सुपुत्र और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने बीजेपी नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को चेतावनी दी कि वो उन्हें घर में घुसकर मारेंगे।वह भी उपमुख्यमंत्री जी के बड़े पुत्र की शादी के अवसर पर। मैंने जब सोचा की तेज प्रताप ने इसी अवसर को क्यों चुना तो मुझे सिर्फ एक बात समझ आई –‘ तेज प्रताप की सूमो की बड़े पुत्र उत्कर्ष मोदी से ईष्या। ‘ उत्कर्ष MBA की पढाई खत्म कर बंगलुरु में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे है और अपने पिता के रसूख पद पर होने के बाबजूद राजनीति से दूर है। जबकि हमारे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी की शिक्षा और दीक्षा उपरांत माता-पिता द्वारा स्वास्थ्य मंत्री की कुर्सी की भिक्षा की कहानी जगजाहिर है।

 

आपने ‘बड़े मियाँ बड़े मियाँ छोटे मिया शुभान अल्लाह’ कहावत तो सुनी ही होगी।लालू जी के छोटे पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री  तेजस्वी यादव आज कल ट्विटर पर बहुत ट्वीट करते रहते है लेकिन बेहतर होता अगर उनके ट्वीट ट्विटर की चिड़िया की तरह सुरीले होते ।आप ट्विटर की चिड़िया की सुरीली आवाज़ की भविष्यवाणी पर मुझ से प्रश्न कर सकते है लेकिन मुझे लगता है की खुदा जब आपको एक खूबसूरत सूरत से नवाजते है तो आप का अच्छी सीरत से सब का दिल जीतने का दायित्व और भी बढ़ जाता है।अच्छी सीरत वाला इंसान हो या पक्षी दोनों सुरीले लगते ही है।वैसे हमारे तेजस्वी जी की सूरत पर कोई भी ऊँगली नहीं उठा सकता इसलिए तो उन्हें आएदिन हजारो रिश्ते आते रहते है!

राजनीति हो या राष्ट्रनीति दोनों में अपनी जुबान पर अंकुश लगाना जरूरी होता है क्यों की क्या पता कब धुम्रपान की तरह आपकी बोलती आपसे बोलने का मंच ही छीन ले।

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